गोरीवाला अनिल।
8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को सयुंक्त किसान मोर्चा महिला किसान दिवस के रूप में मना रहा है। आज मंच और आमसभा पूर्णतः महिलाओं के नाम रहा।
आमसभा को संबोधित करते हुए महिला किसानों ने कहा कि आज के दौर में इंसानी गतिविधियों ने ग्लोबल वॉर्मिंग को जन्म दिया है और जीवों के क़ुदरती आवास को नुक़सान पहुँचाया है। इंसान ने समंदर, मिट्टी और वायुमंडल की रासायनिक बनावट को तब्दील कर दिया है जिसकी वजह से बहुत से जीव धरती से विलुप्त हो गये हैं।
इन हालात में ऐसे आंदोलनों में महिलाओं की भूमिका और उनकी अहमियत बहुत बढ़ गई है जिनका ताल्लुक़ इंसाफ़ हासिल करने से है।
महिलावादी कार्यकर्ता लंबे समय से कहते आये हैं कि दुनिया भर में सामाजिक और पर्यावरण व जलवायु संबंधी इंसाफ़ की लड़ाई महिलाएं ही लड़ेंगी। 'किसान आंदोलन' में महिलाओं की मौजूदगी इस बात का प्रतीक है। लेकिन, ये लड़ाई बेहद मुश्किल और दर्द भरी रही है और आगे भी रहने वाली है।
इसकी वजह ये है कि हमारे समाज में मर्दवादी सोच की जड़ें बेहद गहरी हैं। पितृसत्तात्मक सोच ये मानती ही नहीं कि महिलाओं की अपनी भी कोई हस्ती है। किसान आंदोलन में मौजूद महिलाओं को लेकर आ रहे बयान और टिप्पणियाँ इसी बात का सबूत हैं। किसान नेता राकेश फगोड़िया ने कहा अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को विश्व की प्रत्येक महिलाओं के सम्मान के लिए उत्सव के रूप में महिला दिवस मनाया जाता है! नारी सशक्तिकरण एक ऐसा विषय है! जिस पर कई महान बुद्धिजीवियों द्वारा लिखा गया आज भी लिखा जा रहा है!नारी जितनी सरल है! यह विषय उतना ही पेचीदा बनता जा रहा है!धरती से लेकर आसमान तक अंतरिक्ष से लेकर पहाड़ तक ऐसा कोई क्षेत्र नहीं जिसमें नारी ने अपना पंचम न लहराया हो ऐसा कोई कार्य नहीं जो नारी ने न कर दिखाया हो फिर भी नारी को आज भी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़नी पड़ती है कॉमरेड ने कहा महिला दिवस के दिन नारी सशक्तिकरण को बढ़ावा दिया जाता है उनसे जुड़े हर मुद्दे पर बात की जाती है! लेकिन बड़े दुर्भाग्य की बात है जिन लोगों ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा दिया उनके विधायक मंत्री स्वयं बेटियों का शोषण करते हैं! फगोड़िया ने कहां हक अधिकार मांगने से नहीं मिलते छिनने पड़ते हैं! बहन बेटियों को इतना सक्षम बनाओ कि वह हर मुसीबत का मुकाबला डटकर करें! वहीं गंगानगर जिले के गाँव 19 आरबी एनएफआई डब्लू संगठन की नेत्री ईशा शर्मा ने विभिन्न खाद्य सामग्रियों से किसानों के समर्थन में स्लोगन नारे पोस्टरों पर लिखकर सबका ध्यान आकर्षित किया! ईशा शर्मा ने कहा हम तमाम महिलाएं अपने हक अधिकार के लिए न सिर्फ लड़ेंगीं बल्कि खेती किसानी के इस संघर्ष में अंतिम सांस तक किसानों के साथ मिलकर डटकर मुकाबला करेंगीं